महाबीर हनुमान जिनका वृषाकपि के रूप में रिगवेद में वर्णन है , देवरूप हैं । रिगवेद मे वर्णित इंद्र के पिता ही इनके पिता वृषाश्रंग हैं
यस्ते शर्ङगव्र्षो नपात परणपात कुण्डपाय्यः |
नयस्मिन दध्र आ मनः ||
इस प्रकार यह इंद्र के भाई हैं ।
इंद्र इनके बिना प्रशन्न नही होते
नाहमिन्द्राणि रारण सख्युर्व्र्षाकपेरते |
यस्येदमप्यं हविः परियं देवेषु गछति विश्वस्मादिन्द्रौत्तरः ||
यह इंद्राणी के सखा है ।।
उताहमस्मिवीरिणीन्द्रपत्नी मरुत्सखा ।।
अर्थात यह रुद्रपुत्र मरुत हैं ।।
इंद्रावतार सुग्रीव व अर्जुन के यह सहायक है तथा विष्णु के अवतारों मे यह स्वयंरूप है जैसा वाल्मीकि रामायण मे वर्णित है ।।
महाबीर हनुमान को बारम्बार प्रणाम है ।।

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