कृते च प्रतिकर्तव्यम एष धर्म सनातन: ।।
ऐसा मानकर राम ने बालि का बध कर दिया किन्तु सुग्रीव द्वारा तारा को रखने का दण्ड मिला क्या , नहीं ।।
मम भुजबल आश्रित तेहि जानी
मारा चहसि अधम अभिमानी ।।
यहाँ गोस्वामीजी ने अभिमानी शब्द का उपयोग अवश्य किया है ।
इस प्रकार कुत्ते को आश्रित कहकर युधिष्टर द्वारा न त्यागना भी उपयुक्त नही माना जाना चाहिए क्योंकि मनुष्य की आत्माएँ कुत्ते के शरीर को आश्रय बनाती है जैसा इन्द्र ने बताया ।।
प्रतिप्रदानं शरणागतस्य स्त्रिया वधो ब्राह्मण स्वपहार: ।
मित्रद्रोहस्य चत्वारि भक्त त्यागाश्च सम्मतो मे ।।
किन्तु वेद इसको सनातन धर्म नही मानता
यो नः सवो अरणो यश्च निष्ट्यो जिघांसति |
देवास्तंसर्वे धूर्वन्तु बरह्म वर्म ममान्तरम ||
जोहमारे बन्धु होकर द्वेष करते है परोक्ष रूप से हिंसा की भावना रखते है
हे इन्द्र उनको मार डाल ।।
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