युगों से चली आ रही सनातन अथवा प्राकृतिक परम्परा को मानने वाला एक हिन्दू समुदाय ही है जो आत्मा की यात्रा में विस्वास करता है
बहून में व्यतीतानि जन्मानि तव च अर्जुन ।।
देखा जाय तो बन्दर एक एसी मूर्ख जाति है जो न तो अपने लिए घर बनाता है न अपने बच्चे को पकड़ कर घूमता है लेकिन आत्मा के पोषण में विस्वास करता है
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानौ वृक्षे परिषस्वजाते ।।
सिर्फ़ आत्मा के पोषण के लिए ही जन्म होता है और भगवान इसी माध्यम से पोषण पाते है
भोक्तारं यज्ञ तपसां ।।
फिर तो प्रकृति नियमानुसार बन्दर बुद्धिमान हुआ ।।
मनुष्य को चाहिए कि वेदाज्ञानुसार अपनी आत्मा का नेक नियत से पोषण इस प्रकार करें कि श्रद्धापूर्वक भगवान में लीन रहकर अगला जीवन बनाए क्योकि कुछ तो बनकर फिर आना ही है यहाँ ।।
यह कोई चमत्कार नहीं वास्तविकता है जो हमारे रिषि मुनियों को पता थी ।।

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