Tuesday, April 27, 2021

वैदिक सनातन धर्म वेदास्त्रा

 कृते च प्रतिकर्तव्यम एष धर्म सनातन: ।।

ऐसा मानकर राम ने बालि का बध कर दिया किन्तु सुग्रीव द्वारा तारा को रखने का दण्ड मिला क्या , नहीं ।।

मम भुजबल आश्रित तेहि जानी

मारा चहसि अधम अभिमानी ।।

यहाँ गोस्वामीजी ने अभिमानी शब्द का उपयोग अवश्य किया है ।

इस प्रकार कुत्ते को आश्रित कहकर युधिष्टर द्वारा न त्यागना भी उपयुक्त नही माना जाना चाहिए क्योंकि मनुष्य की आत्माएँ  कुत्ते के शरीर को आश्रय बनाती है जैसा इन्द्र ने बताया ।।


प्रतिप्रदानं शरणागतस्य स्त्रिया वधो ब्राह्मण स्वपहार: ।

मित्रद्रोहस्य चत्वारि भक्त त्यागाश्च सम्मतो मे ।।


किन्तु वेद इसको सनातन धर्म नही मानता 


यो नः सवो अरणो यश्च निष्ट्यो जिघांसति | 

देवास्तंसर्वे धूर्वन्तु बरह्म वर्म ममान्तरम || 

जोहमारे बन्धु होकर द्वेष करते है परोक्ष रूप से हिंसा की भावना रखते है 

हे इन्द्र उनको मार डाल ।।

Monday, April 26, 2021

महाबीर बजरंगबली

 महाबीर हनुमान जिनका वृषाकपि के रूप में रिगवेद में वर्णन है , देवरूप हैं । रिगवेद मे वर्णित इंद्र के पिता ही इनके पिता वृषाश्रंग हैं


यस्ते शर्ङगव्र्षो नपात परणपात कुण्डपाय्यः | 

नयस्मिन दध्र आ मनः || 

इस प्रकार यह इंद्र के भाई हैं ।

इंद्र इनके बिना प्रशन्न नही होते


नाहमिन्द्राणि रारण सख्युर्व्र्षाकपेरते | 

यस्येदमप्यं हविः परियं देवेषु गछति विश्वस्मादिन्द्रौत्तरः || 

यह इंद्राणी के सखा है ।।


उताहमस्मिवीरिणीन्द्रपत्नी मरुत्सखा ।।

अर्थात यह रुद्रपुत्र मरुत हैं ।।

इंद्रावतार सुग्रीव व अर्जुन के यह सहायक है तथा विष्णु के अवतारों मे यह स्वयंरूप है जैसा वाल्मीकि रामायण मे वर्णित है ।।

महाबीर हनुमान को बारम्बार प्रणाम है ।। 

Saturday, April 3, 2021

वेदास्त्र आत्मा यात्रा

 

युगों से चली आ रही सनातन अथवा प्राकृतिक परम्परा को मानने वाला एक हिन्दू समुदाय ही है जो आत्मा की यात्रा में विस्वास करता है

बहून में व्यतीतानि जन्मानि तव च अर्जुन ।।

देखा जाय तो बन्दर एक एसी मूर्ख जाति है जो न तो अपने लिए घर बनाता है न अपने बच्चे को पकड़ कर घूमता है लेकिन आत्मा के पोषण में विस्वास करता है

द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानौ वृक्षे परिषस्वजाते ।।

सिर्फ़ आत्मा के पोषण के लिए ही जन्म होता है और भगवान इसी माध्यम से पोषण पाते है

भोक्तारं यज्ञ तपसां ।।

फिर तो प्रकृति नियमानुसार बन्दर बुद्धिमान हुआ ।।

मनुष्य को चाहिए कि वेदाज्ञानुसार अपनी आत्मा का नेक नियत से पोषण इस प्रकार करें कि श्रद्धापूर्वक भगवान में लीन रहकर अगला जीवन बनाए क्योकि कुछ तो बनकर फिर आना ही है यहाँ ।।

यह कोई चमत्कार नहीं वास्तविकता है जो हमारे रिषि मुनियों को पता थी ।।